शेरशाह सूरी
सिकंदर लोदी
इस्लाम शाह सूरी
बहलोल लोदी
शेरशाह के बचपन के दिनों में उसकी सौतेली मां बहुत सताती थी तो उन्होंने घर छोड़कर जौनपुर में पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी कर सिरसा 1522 में जमाल खान की सेवा में चले गए पर उनकी सौतेली मां को यह पसंद नहीं आया इसीलिए उन्होंने जमाल खान की सेवा छोड़ दी और बिहार के स्वघोषित स्वतंत्र शासक बहार खान लोहानी के दरबार में चले गए। उसी समय हजरत-ए-आला की उपाधि ग्रहण की और दक्षिण बिहार का शासक बना।
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