भारत की राजधानी नई दिल्ली में (भारत मंडपम) 21 से 31 जुलाई 2024 तक संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की 46वीं विश्व धरोहर समिति सत्र की बैठक हुई। यह पहलीबार है जब भारत में ऐसा आयोजन हो रहा है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जुलाई 2024 को केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी की उपस्थिति में इस समारोह का उद्घाटन हुआ।
26 और 27 जुलाई 2024 को विश्व धरोहर समिति ने गहन विचार- विमर्श के बाद 25 नई विश्व धरोहर संपत्तियों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की घोषणा की।
कुल 25 में से 19 को सांस्कृतिक विरासत स्थल, 4 प्राकृतिक श्रेणी और 2 मिश्रित श्रेणी में शामिल किए गए हैं।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सबसे अधिक 59 स्थल इटली के हैं, जबकि दूसरे स्थान पर 57 स्थल चीन के हैं।
भारत 42 स्थलों के साथ छठे स्थान पर है, जिसमें कर्नाटक का होयसला मंदिर 42वां भारतीय स्थल है।
भारत के असम के मोइदाम्स को कल भारत के 43वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया।
विश्व धरोहर समिति में 21 सदस्य हैं। सदस्यों का चुनाव विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित 1972 के कन्वेंशन के 195 हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा किया जाता है।
मोइदाम के बारे में
मोइदम, या "आत्मा का घर ", दफन स्थल हैं जो मूल रूप से ईंट पत्थर के खोखले तहखाने हैं और जिनमें ताई-अहोम के राजाओं और राजघरानों के अवशेष हैं।
13वीं शताब्दी में असम पहुंचे ताई अहोम ने राजसी परिवारों के लिए शुरू में लकड़ी से और बाद में पत्थर और पकी हुई ईंटों से मोइदाम का निर्माण किया।
ताई अहोम अपने शासकों को दैवीय मानते थे और उन्होंने शाही अंत्येष्टि के लिए मोइदाम के निर्माण की एक विशिष्ट अंत्येष्टि परंपरा विकसित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की।
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