भारत 66 साल के अंतराल के बाद कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने 30 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी।
भारत, 2 से 7 अगस्त 2024 तक पूसा इंस्टीट्यूट नई दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
66 वर्षों के अंतराल के बाद, भारत फिर से इस प्रतिष्ठित सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसकी मेजबानी उसने पहली बार 1958 में की थी।
कृषि अर्थशास्त्र पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हर तीन साल में आयोजित किया जाता है। 2021 का सम्मेलन 2021 को कोविड-19 महामारी के कारण आभासी प्रारूप में आयोजित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। सम्मेलन में लगभग 1,000 लोगों, मुख्य रूप से दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों और 75 देशों के कृषि संस्थानों के कृषि अर्थशास्त्रियों के भाग लेने की उम्मीद है। इसमे लगभग 45 प्रतिशत प्रतिनिधि महिलाएँ हैं।
नई दिल्ली में आयोजित होने वाले कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय "सतत कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन" है।
कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में -
कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की स्थापना का श्रेय इंग्लैंड के लियोनार्ड एल्महर्स्ट को दिया जाता है, जिन्होंने 1929 में इंग्लैंड के डेवोन में कृषि अर्थशास्त्रियों का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था।
कृषि अर्थशास्त्रियों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विश्व कृषि से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रमुख कृषि अर्थशास्त्रियों और विद्वानों को एक साथ लाता है।
भारत ने 1958 में मैसूर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 10वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की थी।
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