अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पारसी आबादी में गिरावट को रोकने के लिए 2013 में जियो पारसी योजना शुरू की थी ।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और संरचित हस्तक्षेप अपनाकर पारसी जनसंख्या की घटती प्रवृत्ति को रोकना था, ताकि उनकी जनसंख्या को स्थिर किया जा सके और इस प्रकार भारत में पारसियों की जनसंख्या में वृद्धि हो सके। इस योजना के तहत पारसी दम्पतियों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नकद सहायता भी दी जाती है। यह योजना सभी दम्पतियों पर लागू होती है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
इसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) के माध्यम से 214 बच्चों को जन्म दिया गया है। यह 100% केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है।
पारसी समुदाय
पारसी समुदाय जोरोस्ट्रियन धर्म का पालन करता है, जो दुनिया के सबसे पुराने एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है। इसकी स्थापना पैगम्बर ज़ोरोस्टर (या ज़रथुस्त्र) ने 6 वीं -7 वीं शताब्दी के आसपास प्राचीन ईरान में की थी।
पारसी लोग एक ईश्वर में विश्वास करते हैं जिसे अहुरा मज़्दा (बुद्धिमान भगवान) कहा जाता है जिसने दुनिया को बनाया है। उनके पवित्र धर्मग्रंथ को अवेस्ता कहा जाता है।
पारसी समुदाय के लोग अग्नि मंदिर या अग्निस्थान में सामूहिक रूप से पूजा करते हैं। पारसी लोग अग्नि-पूजक नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि तत्व शुद्ध हैं और अग्नि ईश्वर के प्रकाश या ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है।
21 मार्च, नौरोज़ (जिसे नवरोज़ भी कहा जाता है), ईरानी नववर्ष भारत में पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
पारसी दो समूहों में विभाजित हैं: ईरानी और पारसी।
7 वीं शताब्दी में ईरान से निर्वासित होकर इस धर्म के अनुयायी भारत के गुजरात क्षेत्र में आये ।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, पारसियों की जनसंख्या 1941 में लगभग 114,000 से घटकर 2011 में 57,264 हो गयी है।
जबकि भारत की जनसंख्या 60 वर्षों में तीन गुनी से अधिक हो गयी है, पारसी लोगों की संख्या में लगभग 50% की कमी आई है (जनगणना 2011)।
देश में सबसे अधिक पारसी आबादी महाराष्ट्र में है, उसके बाद गुजरात का स्थान है।
बांझपन और देर से विवाह पारसी जनसंख्या में तेजी से गिरावट के मुख्य कारणों में से हैं।
फाउंडेशन के अनुसार, 30% पारसी आबादी ने कभी शादी नहीं की है।
केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित छह धार्मिक समुदायों में पारसी भी शामिल हैं । अन्य पाँच हैं: मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन।
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