कर्नाटक के राज्यपाल ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी को भूमि आवंटन में कथित भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
कानूनी प्रावधान: सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं के आधार पर ( भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत) मंजूरी दी गई है ।
राज्यपाल के विवेक पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय -
राज्यपाल ने मध्य प्रदेश से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा 2004 में दिए गए एक फैसले का हवाला दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि राज्यपाल तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो इससे कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा।
राज्यपाल के निर्णय के पीछे की मंशा और उसकी आलोचना -
राज्यपाल प्रथम दृष्टया इस बात से संतुष्ट हैं कि आरोप और सहायक सामग्री अपराध किए जाने का खुलासा करती है।
इस प्रतिबंध से यह सुनिश्चित होगा कि निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ और गैर-पक्षपातपूर्ण जांच की जाए।
राज्यपाल के निर्णय की आलोचना -
राज्य सरकार ने राज्यपाल पर केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।
राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से कर्नाटक में सरकार को अस्थिर करने के लिए राजभवन का दुरुपयोग करने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की।
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