मनोहर
मंसूर
बिशनदास
दौलत
चित्रकला के क्षेत्र में जहांगीर ने सर्वाधिक ध्यान दिया। वह खुद चित्रकला का पारीख था। उसके दरबार में अबुल हसन, उस्ताद मंसूर, फर्रूख वेग तथा विशन दास नामक सुप्रसिद्ध चित्रकार थे। अबुल हसन को उसने ‘नादिर-उज् जमा’ तथा उस्ताद मंसूर को ‘नादिर-उल-असर’ की उपाधि से नवाजा था। मंसूर दुर्लभ पशुओं, विरले पक्षियों एवं अनोखे पुष्पों का कुशल चित्रकार था। ‘साइबेरिया का बिरला सारस’ इन्हीं की रचना है।
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