बुवाई कर
चुंगी कर
विद्वानों को दी जाने वाली राजस्व मुक्त अनुदत्त भूमि
सैन्य अधिकारियों को दी जाने वाली पेंशन
भूमि कर के विभाजन के आधार पर मुगल साम्राज्य की समस्त भूमि तीन वर्गो में विभक्त थी। खालसा भूमि, जागीर भूमि, सयूरगल भूमि। सयूरगल भूमि को ही मदद-ए-माश भी कहा जाता है। यह भूमि अनुदान के रूप में धार्मिक प्रकृति के व्यक्तियों को दी जाती थी। इस तरह की अधिकांश भूमि अनुष्पादक होती थी। इस भूमि को ‘मिल्क’ भी कहा जाता था। मुगल प्रशासनिक शब्दावली में माल भू-राजस्व का प्रतिनिधित्व करता था।
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