तेग बहादुर
अर्जुन देव
हर राय
रामदास
गुरू अंगद ने गुरूमुक्खी लिपी प्रारंभ की। गुरू नानक सिक्खों के पहले गुरू थे। गुरू अमरदास ने सिखों और हिन्दुओं के विवाह को पृथक करने के लिए ‘लवन’ ने 500 बीघा जामीन दी। इसी जमनी में एक तलाब भी था। जिस पर अमृतसर नगर बसा तथा स्वर्ण मंदिर का निर्माण हुआ।
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