द्वारका दास
लच्छन देव
महेश दास
हरनाम दास
बंदा बहादुर का जन्म 1670 ई. में कश्मीर के पुंछ जिले के राजौरी क्षेत्र में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम ‘लक्ष्मण देव’ था। 15 वर्ष के उम्र में वह एक बेरागी के शिष्य बने और उनका नाम ‘माधोदास’ हो गया। कुछ समय तक पंचवटी (नासिक) में रहने के बाद वे दक्षिण की ओर चले गये और वहां एक आश्रम की स्थापना की। दसवें गुरू गोविंद सिंह की 1708 ई. में हत्या हो जाने के बाद बंदा सिक्खों के नेता बने।
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