बंगलौर में
सूरत में
मद्रास में
मसूलीपट्टनम में
पुर्तगालियों से निपटने के लिए अंग्रेजों को डच ईस्ट इण्डिया कंपनी से सहायता और समर्थन मिला और दोनो कंपनियों ने एक साथ मिलकर पुर्तगालियों से लम्बे अरसे तक जमकर तगड़ा मोर्चा लिया। 1612 ई. में कैप्टन बोस्टन के नेतृत्व में अंग्रेजों के एक जहाजी बेड़े ने पुर्तगाली हमले को कुचल दिया और अंग्रेजों की ईस्ट इण्डिया कंपनी ने सूरत में व्यापार शुरू कर दिया। 1613 ई. में कंपनी को एक शाही फरमान मिला और सूरत में व्यापार करने का उसका अधिकार कर लिया।
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