कुंवर सिंह
नाना साहब
खान बहादुर खान
तात्या टोपे
अंग्रेजों के खिलाफ हुई 1857 की क्रांति में तात्या टोपे का भी बड़ा योगदान रहा। जब यह लड़ाई उत्तर प्रदेश के कानपुर तक पहुंची तो वहां नाना साहेब को नेता घोषित किया गया और यहीं पर तात्या टोपे ने आजादी की लड़ाई में अपनी जान लगा दी। तात्या ने तकरीबन एक साल तक अंग्रेजों के साथ लंबी लड़ाई लड़ी। हालांकि 8 अप्रैल 1959 को वो अंग्रेजों की पकड़ में आ गए और उन्हे फांसी (18 अप्रैल) को दे दी गई।
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