विष्णुपुर तथा बीरभूम विद्रोह
संन्यासी विद्रोह
रंगपुर तथा दीनापुर विद्रोह
भील विद्रोह
संन्यासी विद्रोह भारत की आजादी के लिए बंगाल में अंग्रेज हुकूमत के विरूद्ध किया गया एक प्रबल विद्रोह था। सन्यासियों में अधिकांश शंकरचार्य के अनुयायी थे। इतिहास प्रसिद्ध इस विद्रोह का स्पष्ट जानकारी बंकिमचंद्र चटर्जी के उपन्यास ‘आनन्द मठ’ में मिलती है। इस विद्रोह को कुचलने के लिए वॉरेन हेस्टिंगस को कठोर कार्यवाही करनी पड़ी थी।
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