कुलीन तन्त्र
राजतन्त्र
गणतन्त्र
इसमें से कोई नहीं
ऋग्वेदिक काल में राज्य का मूलाधार परिवार था। परिवार के मुखिया कुलपति कहलाता था जो की गोत्र संबंधों से बंधा रहता है। गोत्र ही संबंधों का मूल आधार होता था। गोत्र के आधार पर ही ग्राम का निर्माण होता था, अनेक ग्राम मिलाकर विश बनाते थे जिसका प्रधान विश्वपति होता था विश से जन बनता था, जो कि तत्कालीन समाज की सबसे बड़ी राजनीतिकि इकाई थी जिसका प्रधान राजा होता था।
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