रामप्रसाद बिस्मिल
राजगुरु
अशफाक उल्ला
भगत सिंह
काकोरी कांड का मुकद्दमा लखनऊ में चल रहा था। पंडित जगतनाराण मुल्ला सरकारी वकील के साथ ऊर्दू के सायर थे। काकोरी कांड में शामिल सभी को फांसी की सजा सुनाई गयी। पूरे देश में सनसनी फैल गई। फांसी के समय क्रांतिकारियों में से रामप्रसाद बिस्मिल ने दूध पीने से मना कर दिया और कहा अब मैं केवल अपनी माँ का दूध लूंगा।
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