बिपिनचंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखले
फिरोजशाह मेहता
उपर्युक्त में से कोई नहीं
गरम दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंदर ही सदस्यों के मतभेद के कारण उपजा एक धड़ा था, जिसके नेता लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल थे। बंगाल विभाजन के बाद कांग्रेस के नरम दल के लोगों के साथ इस दल के स्पष्ट विरोध सामने आए। 1907 के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस ‘नरमदल’ और ‘गरमदल’ में विभाजित हो गई।
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