संयुक्त निर्वाचक वर्ग
हिंदुओ को अधिक प्रतिनिधित्व देने के लिए
मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक वर्ग
मुसलमानों को मनोनयन द्वारा विशेष प्रतिनिधित्व देने के लिए
बंगाल के विभाजन के साम्प्रदायिक फूट को जन्म दिया। बंगाल विभाजन की घोषणा के तत्काल बाद 1 अक्टूबर, 1906 ई. को आगा खां तृतीय ने नेतृत्व में मुसलमानों का एक शिष्टमण्डल जिसके अधिकांश सदस्य अभिजात्य वर्ग के थे, शिमला में लार्ड मिण्टों मिले। इस शिष्टमण्डल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में राजनीतिक महत्व, सैनिक सेवा और मुसलमानों के विगत राजनीतिक गौरव की ऐतिहासिक स्मृतियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय मुसलमानों के लिे एक विशेष स्थिति की मांग की गई।
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