महारास्ट में
तमिलनाडु में
आन्ध्र प्रदेश में
झारखण्ड में
काली मिट्टी को लावा मिट्टी कहते हैं. क्योंकि यह दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों (बैसाल्ट) की अपक्षय से निर्मित होती है। इसे ‘रेगर मिट्टी’ कहा जाता है। इसमें नाइट्रोजन , पोटाश और ह्यूमश की कमी होती है। इसे कपास मिट्टी भी कहते हैं, क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा कपास उगाया जाता है। काली मिट्टी ज्यादातर महाराष्ट्र में उगती है। हालांकि कपास का उत्पादन सर्वाधिक गुजरात राज्य में होता है। यह मालवा पठार के आस-पास फैला रहता है। इसमें जल धारण करने की क्षमता ज्यादा होती है। इसे स्वतः जुताई वाली मिट्टी भी कही जाती है, क्योंकि धूप के बाद यह खुद टूट जाती है और बारिश में चिपचिपी हो जाती है।
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