वाजसनेमी
मैत्रायणी
तैत्तिरीय
काठक
यजुर्वेद एक कर्मकाण्डीय वेद है। इसमें विभिन्न यज्ञों से संम्बन्धित अनुष्ठान विधियों का उल्लेख है। यह वेद अंशतः गद्य एवं पद्य दोनों में रचित है। यह 40 आध्यायों में विभाजित है। इसमें कुल 1990 मंत्र संकलित है। यजुर्वेद के कर्मकाण्डों को सम्पन्न कराने वाले पुरोहित को अध्वर्यु कहा जाता है। यजुर्वेद की दो शाखाएँ हैं - शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद।
Post your Comments