आस्फालन
चादरी
क्षुद्र सरिता
अवनालिका
आस्फाल अपरदन में मृदा वर्षा की बूंदों के साथ मिलकर कीचड़ बनती है। जब मृदा भार से लदा हुआ प्रवाहित जल ढालों के साथ-साथ बहता है और अपने साथ मिट्टियों को काटते हुए चलता है। अवनालिका अपरदन में जब यह क्षेद्र धारा (पतली धारा) ढाल पाकर तीव्र हो जाती है। यह धारा गहरे गड्डे के साथ-साथ चौड़ी भी होकर मिट्टियों का अपरदन करती है।
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