याज्ञिक स्तम्भ
विजय स्तम्भ
अश्वमेध स्तम्भ
पाषाण स्तम्भ
यह यज्ञ, कर्मकाण्ड की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही ह्रदय में सम्पन्न होता है। जीव अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है। यह युध्द होने की क्रिया है इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है।
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