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अथर्ववेद में
शतपथ ब्राम्हण में
वाजसनेयी संहिता में
ऐतरेय ब्राम्हण में
शतपथ ब्राम्हण में वैश्य का लक्षण दूसरे को बलि देने वाला और दूसरे के द्वारा भोज्य या उपभोग में आने वाला बताया गया है।
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