2 (ट)
2 (च)
2 (ड.)
बाल विवाह अधिनियम, 2006 में अवयस्क की परिभाषा धारा 2 (च) में दी गई है, जो इस प्रकार है - अवयस्क का तात्पर्य किसी ऐसे व्यक्ति से है, जिसके विषय में वयस्कता अधिनियम, 1875 के उपबंधों के अधीन यह समझा जाए कि उसने वयस्कता प्राप्त नहीं कर ली है। अर्थात् अवयस्क वह है जिसने 18 वर्ष की आयु पूरी न की हो लेकिन यदि किसी अवयस्क के लिए न्यायालय द्वारा संरक्षक नियुक्त किया गया है तो वह 21 वर्ष की आयु पूरी न की हो।
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