गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - प्राचीन समय में भारत विश्व में शिक्षा और संस्कृति का प्रमुख केन्द्र था। देश - विदेश के विद्यार्थी यहाँ शिक्षा प्राप्त करने आते थे। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत विद्यार्थी को पुस्तकीय ज्ञान और अध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने के साथ साथ उसे शारीरिक शिक्षा भी प्रदान की जाती थी। उसे युद्ध कौशल भी सिखाया जाता था। इस प्रकार प्राचीन शिक्षण संस्थायें या आश्रम विद्यार्थी के चहुँमुखी विकास पर ध्यान देते थे। आज स्थिति भिन्न है, वर्तमान दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली सिर्फ डिग्रीधारी बेरोजगारों की भीड़ उत्पन्न कर रही है। आज के अधिकांश युवा शिक्षा प्राप्त करके भी स्वावलम्बी नहीं बन पाते। उनके ह्रदय में देश और समाज के प्रति कीसी भी प्रकार का कर्तव्यबोध उत्पन्न करने में असफल रही है। समय - समय पर भारत के नीति निर्माताओं ने शिक्षा को बहुआयामी बनाने के अनेक प्रयास किए हैं। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के नैतिक, मानसिक और शारीरिक विकास पर बल देने का प्रयास किया जा रहा है। अब नवीन शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत विद्यार्थियों को जाति, धर्म और भाषा के दायरें से ऊपर ऊठकर राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया जा रहा है। ताकि शिक्षित लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके। प्राचीन शिक्षण संस्थाएँ ध्यान देती थीं - 

  • 1

    विद्यार्थी के व्यावहारिक विकास पर 

  • 2

    विद्यार्थी के स्वास्थय पर 

  • 3

    विद्यार्थी के चहुँमुखी विकास पर 

  • 4

    पुस्तकीय विकास पर 

Answer:- 3

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