शूद्र
वैश्य
क्षत्रिय
ब्रम्हण
संस्कृत नाटकों में सामान्य पात्र विदूषक प्रायः ब्रम्हण वर्ण का होता है। विदूषक, भारतीय नाटकों में एक हँसाने वाला पात्र होता है। मंच पर उसके आने मात्र से ही माहौल हास्यास्पद बन जाता है। यह स्वयं अपना एवं अफने परिवेश का मजाक उड़ाता है। उसके कथन एक तरफ हास्य को जन्म देता है, और दूसरी तरफ उनमें कटू सत्य का पुट होता है।
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