जमींदारी प्रथा का उन्मूलन
भूमि जातों की अधिकमत सीमा का निर्धारण
काश्तकारी सुधार
बहुफसली योजना
देश की स्वतंत्रता के समय भूमि का स्वामित्व केवल कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित था। इससे किसानों का शोषण बढ़ता गया और साथ ही साथ ग्रामीण आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में भी यह कारण एक प्रमुख बाधा बना रहा। स्वतंत्र भारत की सरकार का मुख्य ध्यान देश में समान भू वितरण करना था। 1950 से 60 के दशक में भू स्वामित्व के कानून विभिन्न राज्यों में अधिनियमित किए गए जिन्हें 1972 में केंद्र सरकार के निर्देश पर संशोधित किया गया।
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