न पादपोन्मूलनशक्तिरंहः, शिलोच्चये मूर्च्छति मारुतस्य। श्लोकांश उद्धृत है। 

  • 1

    किरातार्जुनीयम् में 

  • 2

    रघुवंशम् में 

  • 3

    अभिज्ञानशाकुन्तलम् में 

  • 4

    उत्तररामचरितमानस में

Answer:- 2

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