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सुमित्रानन्दन पन्त
भवानी शंकर मिश्र
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला '
नागार्जुन
वह तोड़ती पत्थर, देखा मैंने उसे इलाहबाद के पथ पर' ये पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला ' की है
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