विश्व के बहुत से भागों में कृषि में व्यापक रुप एक धान्य कृषि प्रथा और बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि के साथ रसायनों के अविवेकी प्रयोग के परिणामस्वरुप अच्छे देशी पारितंत्र की हानि।
आसन्न भविष्य में पृथ्वी के साथ उल्कापिण्ड की संभावित टक्कर का भय, जैसा कि 65 मिलियन वर्ष पहले हुआ था और जिसके कारण डायनोसोर की जातियों समेत अनेक जातियों का व्यापक रुप से विलोप हो गया।
विश्व के अनेक भागों में आनुवंशिकतः रुपांतरित फसलों की व्यापक रुप में खेती और विश्व के दूसरे भागों में उनकी खेती को बढ़ावा देना, जिसके कारण अच्छे देशी फसली पादपों का विलोप हो सकता है। और खाद्य जैव - विविधता की हानि हो सकती है।
मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अतिशोषण/दुरुपयोग, प्राकृतिक आवसों का संविभाजन/नाश, पारितंत्र का विनाश, प्रदूषण और वैश्विक जलवायु परिवर्तन।
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