उन्होंने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पुणे के पास खेड़ागाँव में एक मिशन स्थापित किया
उनके मिशन ने विधवाओं और गरीब महिलाओं को केवल पढ़ने - लिखने के लिए प्रोत्साहित किया, अपितु व्यवसायिक कुशलताओं की सहायता से स्वावलम्बी होने की शिक्षा भी दी।
उन्होंने अपने माता - पिता से पढ़ाना - लिखाना सीखा।
वे संस्कृत पढ़ना - लिखना जनता थी, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि उनके समय में महिलाओं को इस प्रकार का ज्ञान अर्जित करने की अनुमति नहीं थी।
Post your Comments