रमाबाई, जो महिला शिक्षा की योद्धा थीं, कभी स्कूल नहीं गई। फिर भी पण्डिता की उपाधि दी गई, क्योंकि - 

  • 1

    उन्होंने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पुणे के पास खेड़ागाँव में एक मिशन स्थापित किया 

  • 2

    उनके मिशन ने विधवाओं और गरीब महिलाओं को केवल पढ़ने - लिखने के लिए प्रोत्साहित किया, अपितु व्यवसायिक कुशलताओं की सहायता से स्वावलम्बी होने की शिक्षा भी दी।

  • 3

    उन्होंने अपने माता - पिता से पढ़ाना - लिखाना सीखा।

  • 4

    वे संस्कृत पढ़ना - लिखना जनता थी, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि उनके समय में महिलाओं को इस प्रकार का ज्ञान अर्जित करने की अनुमति नहीं थी। 

Answer:- 4

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