अंग्रेजी शिक्षा ने पढ़ने और लिखने की अपेक्षा मौखिक ज्ञान पर अधिक बल दिया।
अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा ने भारतीयों को अपने सामाजिक परिवेश से काट दिया।
औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का भाव पैदा कर दिया।
पश्चिमी शिक्षा में जीवन के अनुभवों और व्यवहारिक ज्ञान की अपेक्षा पाठ्य पुस्तकों पर अधिक बल दिया।
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