पहचानना कि बच्चे सोच सकते हैं। और उनकी सोच प्रौढ़ो से भिन्न होती है।
बच्चों की समझ में सूक्ष्म भेद करना और उनका अपने सीखने की प्रति निष्क्रिय रहना
बच्चों की गलतियों की व्याख्या के लिए मनोहारी शब्दों का उपयोग करना
बच्चों को उनकी सोच में प्रौढ़ों के समान मानना
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