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अनुनय-विनय से दुष्टों को नहीं समझाया जा सकता
अनुनय-विनय को कभी नहीं त्यागना चाहिए
विनम्रता जीवन का सार है
अनुनय के प्यारे-प्यारे छन्द-निरर्थक होते हैं
तीसरे और चौथे चरण का केंद्रीय भाव है - अनुनय-विनय से दुष्टों को नहीं समझाया जा सकता है|
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