प्रकाश पाने की क्षीण आकांक्षा
मनुष्य का अपने प्रति पाप न करना
अंधकार को स्वीकार न करना
अन्धकार को स्वीकार कर लेना
अन्धकार अर्थात बुराइयों को स्वीकार कर लेना मनुष्य द्वारा अपने जीवन में किया गया सबसे बड़ा पाप है| इस पाप के बोझ से मनुष्य निरंतर दबा चला जाता है|
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