हर पंद्रह दिन में सरल परीक्षा लेना
बच्चों को अपने अनुभवों को कहने-लिखने के पर्याप्त अवसर देना
बच्चों से समूह में परियोजना कार्य करवाना
बच्चों से अनौपचारिक बातचीत करना
बच्चे जब अपने अनुभवों को कहने तथा लिखने में पूर्णतः आसक्त हो जाते हैं, तब उनका आकलन आसानी से किया जा सकता है| सतत मूल्यांकन/आकलन का सर्वाधिक उचित तरीका यही है कि बच्चों को अनुभवों को कहने और उन्हें लिखने के उचित अवसर दिए जाएँ |
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