शारीरिक श्रम में तेज बुद्धि की आवश्यकता नहीं होती
शारीरिक श्रम में समझदारी और तेज बुद्धि की भी आवश्यकता होती है
शारीरिक श्रम बच्चों को होशियार बनाता है
शारीरिक श्रम ही एकमात्र महत्वपूर्ण तत्व है
लेखक दिए गए गद्यांश में इस बात की और संकेत करता है कि शारीरिक श्रम केवल शरीर के द्वारा ही नहीं किया जाए, बल्कि उसमें बुद्धि का प्रयोग भी करना चाहिए, ऐसा करने पर शारीरिक श्रम एवं समय दोनों की खपत की जा सकती है|
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