निर्देश (प्र. सं. 1-5) दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिए |
धर्म पालन करने के मार्ग में सबसे अधिक बाधा चित्त की चंचलता, उद्देशय की अस्थिरता और मन की निर्बलता से पड़ती है| मनुष्य के कर्तव्य मार्ग में एक और तो आत्मा के बुरे-भले कामों का ज्ञान दूसरी ओर आलस्य और स्वार्थपरता रहती है| बस मनुष्य इन्हीं दोनों के बीच में पड़ा रहा है | अंत में यदि उसका मन पक्का हुआ तो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपना धर्म पालन करता है, पर उसका मन दुविधा में पड़ा रहा है तो स्वार्थपरता उसे निश्चित ही घेरेगी और उसका चरित्र घृणा के योग्य हो जाएगा| इसलिए यह बहुत आवश्यक हे कि आत्मा जिस बात को करने की प्रवृत्ति दे, उसे बिना स्वार्थ सोचे, झटपट कर डालना चाहिए | इस संसार में जितने बड़े-बड़े लोग हुए हैं सभी ने अपने कर्तव्य को सबसे श्रेष्ठ माना है, क्योंकि जितने कर्म उन्होंने किए उन सबने अपने कर्तव्य पर ध्यान देकर न्याय का बर्ताव किया | जिन जातियों में यह गुण पाया जाता है, वे ही संसार में उन्नति करती हैं और संसार में उनका नाम आदर से लिया जाता है, जो लोग स्वार्थी होकर अपने कर्तव्य पर ध्यान नहीं देते, वे संसार में लज्जित होते हैं और सब लोग उनसे घृणा करते हैं | कर्तव्य पालन और सत्यता में बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध है, जो मनुष्य अपना कर्तव्य पालन करता है, वह अपने कामों और वचनों में सत्यता का बर्ताव भी रखता है | सत्यता ही एक ऐसी वस्तु है, जिससे इस संसार में मनुष्य अपने कार्यों में सफलता पा सकता है, क्योंकि संसार में कोई काम झूठ बोलने से नहीं चल सकता | झूठ की उत्पत्ति पाप, कुटिलता और कायरता से होती है | झूठ बोलना कई रूपों में दिख पड़ता है; जैसे- चुप रहना, किसी बात को बढ़कर कहना, किसी बात को छिपाना, झूठ-मूठ दूसरों की हाँ में हाँ मिलाना आदि | कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो मुँह देखी बातें बनाया करते हैं, पर करते वही हैं, जो उन्हें रुचता है | ऐसे लोग मन में समझते हैं कि कैसे सबको मूर्ख बनाते हैं और अन्त में उनकी पोल खुल जाने पर समाज के लोग उनसे घृणा करते हैं |
 धर्म पालन करने में बाधा डालने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-सी हैं?

  • 1

    कमजोर मन, उद्देश्य का निश्चित न होना तथा चंचल मनोवृत्ति का होना

  • 2

    धर्म का ज्ञान न होना

  • 3

    आलस्य की अधिकता

  • 4

    जानकारी की कमी

Answer:- 1
Explanation:-

गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि धर्म पालन करने के मार्ग में सबसे अधिक बाधा चित्त की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता और मन की निर्बलता से पड़ती है |

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