सारिपुत्र
सुभद्द
आनंद
मोदग्लायन
महात्मा बुध्द अपने जीवन के अंतिम दिनों में धर्मप्रचार करने के लिए हिरण्यवती नदी के तट पर स्थित कुशीनगर (मल्ल गणराज्य की राजधानी) में अपने शिष्य चुंद के यहाँ पहुँचे, जहाँ सूकरमाद्दव (सुअर का माँस) खाने के कारण 483 ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। बौध्द ग्रन्थों में इसे महापरिनिर्वाण कहा जाता हैा। मृत्यु के पूर्व कुशीनारा के परिव्राजक सुभद्द को उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया।
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