शकों ने
प्रतिहारों ने
कुषाणों ने
इण्डो-ग्रीकों ने
उत्तर-पश्चिमी भारत में स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन यवन राजाओं ने करवाया तथापि इन्हें नियमित एवं पूर्णरूपेण प्रचलित करने का श्रेय कुषाण राजाओं को दिया जा सकता है। कुषाण सत्ता में रोम तथा अन्य पाश्चात्य देशों के साथ भारत के व्यापारिक सम्पर्क बढ़ जाने के कारण निश्चित माप के सिक्कों की आवश्यकता प्रतीक हुई। अतः कुषाण राजाओं ने विभिन्न आकार-प्रकार के स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन करवाया।
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