उसने नियामक-ए-खुदाई के सिध्दान्त का प्रतिपादन किया।
उसने इक्तादारी व्यवस्था का प्रारम्भ किया।
उसने तुर्कान-ए-चहलगानी का प्रभाव समाप्त किया।
उसने बंगाल के विद्रोह का दमन किया।
यद्यपि भारत में इक्ता प्रणाली को मुहम्मद गोरी ने प्रारम्भ किया था, परन्तु इसको व्यवस्थित स्वरूप से भारत में चलाने का कार्य इल्तुतमिश ने किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक प्रथम इक्तादार था जिसे झाँसी की इक्तादारी प्रदान की गई थी। इक्तादार का कार्यकाल अधिकतम 3 वर्ष का होता था। बलबन 1266 ई. में दिल्ली का शासक बना और 1288 ई. तक दिल्ली पर शासन किया। इसने साम्राज्य विस्तार की नीति को अपनाया।
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