अकबर
शाहजहां
जहाँगीर
औरंगजेब
दो - अस्पा एवं सिंह - अस्पा प्रथा का प्रारम्भ जहाँगीर ने अपने शासनकाल के दौरान प्रशासनिक कार्य के अन्तर्गत किया था। इन दोनों के अन्तर्गत बिना जात पद बढ़ाे ही मनसबदारों को अधिक सेना रखनी पड़ती थी। दो-अस्पा में मनसबदारों को अपने सवार पद के दुगुने घोड़े रखने पड़ते थे। सिंह-्स्पा में मनसबदारों को अपने सवार पद के तीन गुने घोड़े रखते होते थे। मनसबदारों को वेतन नकद व जागीर दोनों ही रूप में देने की व्यवस्था थी।
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