शाहजहाँ ने
सूरजमल ने
जयसिंह द्वितीय ने
अकबर ने
खगोलीय वेधशाला जिसे जंतर-मंतर कहते हैं, यहाँ से समय का निर्धारण होता था। ग्रहों, सूर्य, चन्द्र आदि की गतियों की जानकारी होती थी, जिससे ज्योतिषीय गणनाओं में शुध्दता आती थी। जिसका निर्माण जयसिंह द्वितीय ने कराया था। जयसिंह भूगोल, ज्योतिष और गणित विधा में अत्यधिक रूचि लेता था। उसने जयपुर, बनारस, उज्जैन में इसकी उन्नति के लिए शोधशालाएँ स्थापित की।
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