राजनारायण बसु
महादेव गोविन्द रानाडे
राजा राममोहन राव
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
1826 के जूरी अधिनियम का विरोध समाज-सुधारक राजा राममोहन राव ने किया था। 16 वर्ष की आयु में इनकी आस्था मूर्ति पूजा में नही रही और इन्होंने फारसी में तुहफत-उल-मुवाहेदीन नामक पुस्तक लिखी, जिसमें मूर्तिपूजा का खंडन और एकेश्वरवाद की प्रशंसा की। 1815 में उन्होंने ‘आत्मीय सभा’ की स्थापना की।
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