लाला लाजपत राय
बिपिनचंद्र पाल
अरविंद घोष
बाल गंगाधर तिलक
केसरी में वर्णित लेखों के फलस्वरूप बाल गंगाधर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और 24 जून, 1908 ई. को 6 वर्ष का कारावास देकर मांडले जेल (बर्मा) में कैद कर दिया गया। इसी जेल में अपने कारावास के समय ही तिलक ने आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज एवं गीता रहस्य नामक पुस्तकों की रचना की।
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