1813
1833
1853
1858
1833 के अधिनियम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारा 87 थी जिसके द्वारा सार्वजनिक सेवाओं में धर्म, जाति, रंग के आधार पर भेदभाव न करने की घोषणा की गयी। इसके साथ ही योग्यता को ही सेवा का आधार मान लिया गया। इस एक्ट के द्वारा भारत में कम्पनी के व्यापारिक अधिकारों को समाप्त करने के साथ ही दासता को अवैध भी घोषित दिया गया।
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