हवा के दबाव पर
वायुमण्डल में नमी पर
जल-चक्र पर
तापक्रम पर
वर्षा एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी की सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रुप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते है। वर्षा के लिए दो बातें आवश्यक हैं - 1. हवा में पर्याप्त मात्रा में जलवाष्प का होना, तथा 2. वाष्प में भारी हवाओं का शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से ठंडा होना और ओसांक तक पहुंचना वर्षा तीन प्रकार की होती है - 1. संवहनीय वर्षा 2. पर्वतीय वर्षा 3. चक्रवाती या वाताग्री वर्षा
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