भृगु (क्लिफ)
गह्वर (सर्क)
मरूटिब्बा (ड्यून)
हमादा
पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को मरूटिब्बा या बालुका स्तूप कहते हैं। इन स्तूपों का निर्माण मरूस्थलीय क्षेत्रों में शुष्क तथा अर्धशुष्क भागों के अतिरिक्त रेतीले प्रदेशों से होकर प्रवाहित होने वाली सरिताओं के बाढ़ के क्षेत्रों आदि में भी होता है। जहाँ कहीं भी शुष्क रेत सुलभ होती है तथा पवन इतनी शक्तिशाली होती है कि उनको निक्षेपित करके स्तूपों का निर्माण कर सके, वहाँ पर बालुका स्तुपों का निर्माण हो जाता है।
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