इसके भार द्वारा
इसकी ऊँचाई द्वारा
इसमें वार्षिक वलयों की संख्या के आधार पर
इसकी जड़ों की लम्बाई द्वारा
वृक्ष की आयु वलयों की संख्या के आधार पर ज्ञात की जाती है। प्रतिवर्ष मौसम में होने वाले परिवर्तन से वृक्ष के तनों में परिवर्तन होता है, जिससे तनों पर एक परत बन जाती है। जो एक वलय का रूप धारण कर लेती है, उन्हें गिनकर वृक्ष की आयु निर्धारित की जाती है।
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