बैकों की ऋण देने की क्षमता में वृध्दि होगी।
बैकों की ऋण देने की क्षमता में कमी आएगी।
तरलता में वृध्दि होगी।
ब्याज दरों में कमी आएगी।
बैकों की नकद जमा का वह निश्चित भाग जो बैंक द्वारा आर. बी. आई. के पास रखा जाता है सी. आर. आर. (नकद आरक्षित अनुपात) कहलाता है। यदि आर. बी. आई. सी. आर. आर. में वृध्दि करता है, तो बैकों की ऋण देने की क्षमता में कमी आयेगी। सी. आर. आर. में वृध्दि करने पर बैंकों को अपने सम्पूर्ण नकद का अतिरिक्त भाग आर. बी. आई. के पास रखना पड़ेगा। जिससे बैकों के पास ग्राहकों को ऋण देने के लिए पूंजी की कमी हो जाएगी।
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