वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में वृध्दि।
माँग के बढ़ने पर आपूर्ति का भी बढ़ना।
वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य में सतत वृध्दि।
उपर्युक्त सभी।
जब किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं की माँग की तुलना में आपूर्ति कम हो तो वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य में वृध्दि होने लगती है। यदि यह मूल्य - वृध्दि लगातार होती रहे तो मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी आ जाती है। इस स्थिति को मुद्रास्फीति कहते हैं। मुद्रास्फीति के कारण बचत एवं निवेश में कमी आती है, जबकि ब्याज दरों में वृध्दि होती है तथा मुद्रा का अवमूल्यन हो जाता है।
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