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ताम्रः
पीतः
नीलः
हरितः
‘सविता’ ताम्रः उदेति। श्लोक का अर्थ है- “जिस प्रकार सूर्य उदय और अस्त के समय ताम्रवर्ण का ही रहता है उसी प्रकार महान लोग सम्पत्ति एवं विपत्ति दोनों परिस्थितियों में एक ही समान रहते हैं।”
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