उदेति सविता ताम्रः एव अस्तमेति च। सम्पत्तौ विपत्तौ च महतोमेकरूपता।। ‘सविता’ कीदृशः उदेति।

  • 1

    ताम्रः

  • 2

    पीतः

  • 3

    नीलः

  • 4

    हरितः

Answer:- 1
Explanation:-

‘सविता’ ताम्रः उदेति। श्लोक का अर्थ है- “जिस प्रकार सूर्य उदय और अस्त के समय ताम्रवर्ण का ही रहता है उसी प्रकार महान लोग सम्पत्ति एवं विपत्ति दोनों परिस्थितियों में एक ही समान रहते हैं।”

Post your Comments

Your comments will be displayed only after manual approval.

Test
Classes
E-Book